कथित ‘आज़ादी’ मांगने वालों को मुंशी प्रेमचंद की यह कहानी एक आईना दिखाती है

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----------------- सोजे-वतन ----------------

हिंदी के महान लेखक और उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंदजी ने दशकों पहले एक कहानी लिखी थी - 'दुनिया का सबसे अनमोल रतन' यह कहानी उनके कहानी संग्रह 'सोजे-वतन' में प्रकाशित हुई. सोजे-वतन यानि 'देश का दर्द'.

आज के माहौल के लिए यह कहानी इसीलिए बेहद खास है, जेनयू में लगे 'भारत की बर्बादी' के जिन नारों को वैचारिक असहमति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का आवरण ढँक कर पेश किया जा रहा है, एक तरीके से बचाव किया जा रहा है, उन सभी के लिए यह कहानी एक आईना दिखाती है. देशद्रोह के इन नारों को लगाने वालों के साथ हमदर्दी जताने और समर्थन करने के लिए उतारू उन तमाम पत्रकारों, राजनेताओं, बुद्धिजीवियों, उन्मुक्तो और अभिनय जगत के लोगों को डूब मर जाना चाहिए जो देशद्रोह को अपनी अनूठी देशभक्ति की परिभाषा के तहत सेना के जवानों की शहादत को अनदेखा कर उनका मखौल उड़ाने के लिए बेशर्म हैं. 'सामंतवाद से, मनुवाद से, गरीबी से, सुदूर भागों में सेना की नियुक्ति आदि से...' से कथित 'आज़ादी' मांगने का शोरशराबा करने वाले कन्हैया, उमर खालिद और इनके साथियों के आदर्शवाद को खोखला और झूठा साबित करती है. वास्तव में नायक होने के योग्य और 'गरीबों, दलितों, आर्थिक शोषण' के प्रति अपने लेखन और विचारों से जीवनभर संघर्षरत रहे मुंशी प्रेमचंद की यह मर्मस्पर्शी कहानी इन अफज़ल प्रेमियों के दोहरे चरित्र को नग्न करने के लिए पर्याप्त है.

आज राष्ट्रवाद की भावना की अभिव्यक्ति करने वाली इस कहानी को पढ़ना जरूरी है. इस कहानी के कुछ अंश यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं.

'क्या है दुनिया का ​सबसे अनमोल रतन?'

ये शर्त रखी थी एक राजकुमारी ने अपने प्रेमी के समक्ष जो राजकुमारी से विवाह का प्रस्ताव लेकर पंहुचा था कि वह उसे तभी अपने पति के रूप में स्वीकार करेगी जब दुनिया का सबसे अनमोल रतन लाकर देगा. यह प्रेमी इस अनमोल रतन को ढूँढने के लिए जी जान लगा देता है, बार वर्षों की मेहनत के बाद कुछ अनमोल वस्तुएँ लेकर लौटता है.

दिलफिगार, बेशक तूने दुनिया की एक बेशकीमत चीज ढूंढ निकली है, तेरी हिम्मत और तेरी सूझ-बूझ की दाद देती हूँ ! मगर यह दुनिया की सबसे बेशकीमत चीज चीज नहीं, इसलिए तू यहाँ से जा और फिर कोशिश कर, शायद अब की तेरीहाथ वह मोती लगे और तेरी किस्मत में मेरी गुलामी लिखी हो. जैसा कि मैंने पहले ही बतला दिया था मैं तुझे फांसी पर चढ़ावा सकती हूँ मगर मैं तेरी जांबख्शी करती हूँ इसलिए कि तुझमें वह गुण मौजूद हैं, जो मैं अपने प्रेमी में में देखना चाहती हूँ और मुझे यकीन है कि तू जरूर कभी-न-कभी कामयाब होगा.

नाकाम और नामुराद दिलफिगार मायूस दिल लेकर चल उठा. ना जाने सौन्दर्य की देवी मलिका दिल फरेब अपने इस सच्चे और जान देने वाले प्रेमी से क्या चाहती थी जो उसे अपने प्यार के काबिल बना सके ! क्या है वह दुनिया का सबसे अनमोल रतन जिसे दिलफिगार दिल फरेब की खिदमत में रखकर अपने प्यार की काबिलियत को साबित कर सके ! कारूं का खज़ाना ? आबे हयात? खुसरो का ताज ? जामे जम ? तख्ते ताऊस ? परवेज़ की दौलत ? नहीं, यह चीजे हरगिज नहीं. दुनिया में जरूर इनसे भी महँगी इनसे भी अनमोल चीजें मौजूद हैं मगर वह क्या हैं ? कहाँ हैं ? कैसे मिलेंगीं ? या खुदा मेरी मुश्किल क्योंकर आसान होगी ?

प्रेमी वर्षों तक खाक छानता फिरता है लेकिन उसे दुनिया की सबसे अनमोल चीज नहीं मिली जो राजकुमारी को संतुष्ट कर सके.

आसमान पर तारे निकल आये थे. दिलफिगार यकायक खुदा का नाम लेकर उठा और एक तरफ को चल पड़ा. भूखा-प्यासा, नंगे बदन, थकन से चूर, वह बरसों वीरानों और आबादियों की खाक छानता रहा फिरा, तलवे काँटों से छलनी हो गए, शरीर में हड्डियाँ ही हड्डियाँ दिखायी देने लगी मगर वह चीज जो दुनिया की सबसे बेश-कीमती चीज थी, न मिली और न उसका कुछ निशान मिला.

अंततः वह दुनिया की सबसे अनमोल चीज पाने विफल देखकर अपने जीवन का अंत करने की सोचता है.

दिलफिगार का हियाव छूट गया. उसे यकीन हो गया कि मैं दुनिया में इसी तरह नाशाद और नामुराद मर जाने के लिए ही पैदा किया गया था और अब इसके सिवा और कोई चारा नहीं था कि किसी पहाड़ पर चढ़कर नीचे कूद पडू, ताकि माशूक के जुल्मों की फरियाद करने के लिए एक हड्डी भी बाकी न रहे. वह दीवाने की तरह उठा और गिरता-पड़ता एक गगन चुम्बी पहाड़ की छोटी पर जा पहुंचा. किसी और समय वह ऐसे ऊँचे पहाड़ पर चढने का साहस न कर सकता था मगर जान देने के जोश में उसे पहाड़ एक मामूली टेकरी से ज्यादा ऊँचा न नजर आया. करीब था कि वह नीचे कूद पड़े कि हरे-हरे कपडे पहने हुए और हरा अमामा बांधे एक बुजुर्ग एक हाथ में तसबीह और दुसरे हाथ में लाठी लिए हुए बरामद हुए और हिम्मत बढाने वाले स्वर में बोले – दिलफिगार , नादान दिलफिगार, यह क्या बुझदिलों जैसी हरकत है ! तू मुहब्बत का दावा करता है और तुझे इतनी भी खबर नहीं कि मजबूत इरादा मुहब्बत के रास्ते की पहली मंजिल हैं ? मर्द बन और यों हिम्मत न हार. पूरब की तरफ एक देश है जिसका नाम हिन्दोस्तान है, वहां जा और तेरी आरजू पूरी होगी.

आखिर में फ़क़ीर के बताये अनुसार प्रेमी हिंदुस्तान पहुँचता है जहां सरहद पर एक युद्ध चल रहा होता है और एक शहादतरत घायल हिंदुस्तानी सैनिक उसे बताता है कि उसके स्वागत के लिए बैठाने के लिए केवल यह भूमि ही बची है जिस पर उसका शरीर पड़ा हुआ हैं. प्रेमी को घायल सैनिक की राष्ट्र बलिदान के लिए उस भावना का साक्षात्कार होता है कि क्यूँ एक सैनिक देश पर मिटने के लिए सदा तैयार रहता है और इस दौरान प्रेमी को आखिर में दुनिया की सबसे अनमोल चीज मिल जाती है.

इस सबसे अनमोल चीज को लेकर प्रेमी राजकुमारी प्रेमिका के यहाँ लेकर पहुंचता है. इस सबसे अनमोल चीज को देखकर राजकुमारी एक रत्न जड़ित मंजूषा मंगाती है और उसके अंदर राखी हुई तख्ती पर लिखा हुआ होता है – “खून का वह आखिरी कतरा जो वतन की हिफाजत में गिरे वह दुनिया की सबसे अनमोल चीज है

वाकई... देश के लिए शहीद जवानों के खून की हरेक कतरा एक अनमोल रतन है. आखिर देश तोडने के नारे लगाने वाले और इनका समर्थन करने वालों को क्यूँ न कटघरे खड़ा किया जाये जो जेनयू में कन्हैया कुमार की रिहाई पर तो मिलने पहुँच जाते हैं, लेकिन शहीद कैप्टन पवन कुमार की परिजनों को अनदेखा कर देते है.

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